भाकृअनुप – केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान गोवा में राजभाषा की दशा एवं दिशा पर राजभाषा कार्यशाला

भाकृअनुप – केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान गोवा में राजभाषा की दशा एवं दिशा पर राजभाषा कार्यशाला

 

    भाकृअनुप – केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान गोवा के प्रशासनिक कार्यों में राजभाषा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एवं कर्मचारियों को राजभाषा के प्रति संवेदनशील करने हेतु संस्थान में दिनांक 05.03.2024 को बैठक कक्ष में कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ शिवनंदन लाल उपस्थित थे, उन्होने राजभाषा की दशा और दिशा” विषय पर सभी को मार्गदर्शन  दिया ।

     उन्होंने हिन्दी भाषा को राजभाषा बनने तक के संघर्ष के बारे में बताया एवं हिन्दी को राजभाषा से राष्ट्रभाषा बनाने के लिए आवश्यक कार्य एवं लाभों के बारे में प्रकाश डाला। हिन्दी भारत संघ की राजभाषा होने के साथ ही ग्यारह राज्यों और तीन संघ शासित क्षेत्रों की प्रमुख भाषा है। संविधान की आठवी  अनुसूचि में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिन्दी का एक विशेष स्थान है।

महात्मा गांधी ने वर्ष 1917 में गुजरात के भरूच में हुए गुजरात शैक्षिक सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाए जाने की वकालत की थी – “भारतीय भाषाओं में केवल हिन्दी ही एक ऐसी भाषा  है जिसे राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाया जा सकता है क्योंकि यह अधिकांश भारतीयों द्वारा बोली जाती है। यह समस्त भारत में आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक सम्पर्क माध्यम के रूप में प्रयोग के लिए सक्षम है तथा इसे सारे देश को सीखना आवश्यक है”।

    इस कार्यशाला में संस्थान के 40 अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया ।