भाकृअनुप - केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान में राजभाषा कार्यशाला का आयोजन
भाकृअनुप - केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान में राजभाषा कार्यशाला का आयोजन
भाकृअनुप - केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान में दिनांक 03.02.2023 को हिन्दी कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला के वक्ता सुश्री ममता वेर्लेकर, गोवा विश्वविद्यालय की हिन्दी सहायक प्राध्यापक थी ।
इस संस्थान की सह-राजभाषा अधिकारी श्रीमति श्रेया बर्वे ने कार्यशाला में उपस्थित सभी को संस्थान के इस वर्ष की चौथी कार्यशाला में स्वागत किया । माननीय निदेशक महोदय डॉ. प्रवीण कुमार ने इस कार्यशाला की मुख्य वक्ता को पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया । सुश्री ममता वेर्लेकरजी ने अपने संबोधन में कहा की भाषा के बिना मनुष्य अधूरा है और अपने इतिहास तथा परंपरा से वंचित है। मानव इतिहास में भाषा का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रहा है, जो मानव सभ्यता के विकास, सामाजिक चेतना, पारंपरिक ज्ञान का संचार आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भाषा के माध्यम से इंसान अपने विचारों को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाकर, अपने इतिहास को संरक्षित कर पाया है। भाषा को नियमित इस्तेमाल न करने पर भाषा विलुप्त हो जाने की संभावना बन सकती हैं ।
हिन्दी भाषा पर प्रकाश डालते हुए उन्होने कहा की, हिन्दी विश्व में तीसरी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है । हिन्दी भारतवर्ष की राजभाषा होने के साथ ही ग्यारह राज्यों और तीन केंद्र शासित क्षेत्रों की भी प्रमुख राजभाषा है। उन्होंने सबको सचेत किया कि कृत्रिम बुद्धिमता एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने भाषा की संवेदनशीलता एवं बारीकियों को धीरे धीरे विलुप्त कर रहा है । अत: भाषा के नींव से जुड़े रहने के लिए हमे एवं हमारी आने वाली पीढ़ियों को जागरूक रहने की आवश्यकता है ।
इस कार्यशाला में संस्थान के 20 कर्मचारियों ने भाग लेकर लाभ उठाया। कार्यशाला के अंत में सह राजभाषा अधिकारी, श्रीमति श्रेया बर्वे ने सभी को धन्यवाद दिया।