संस्थान द्वारा इस वर्ष मनाए गए हिन्दी पखवाड़ा का संक्षिप्त विवरण
हिन्दी दिवस पर संदेश
हर इंसान की एक विभिन्न पहचान होती है, मसलन शारीरिक रंग-रूप, चाल-ढाल, व्यक्तित्व एवं भाषा। इन सब में जो सबसे सटीक पहचान होती है, वह है उस इंसान की बोली। जैसे कि अगर कोई मराठी है तो यह उसके शब्द-उच्चारण करते ही पता चल जाएगा। इसी तरह यदि कोई अंग्रेज है तो उसके बोलने का तरीका ही बता देगा कि उसकी असल पहचान क्या है। हिंदुस्तान में सैकड़ों भाषायें बोली जाती हैं, परंतु एक हिंदुस्तानी की असली पहचान हिंदी भाषा होती है।
हिन्दी ना सिर्फ हमारी मातृभाषा है बल्कि यह भारत की राजभाषा भी है। संविधान ने 14 सितंबर, 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा घोषित किया था। भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1) में यह वर्णित है कि “संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय होगा।
इसके बाद साल 1953 में हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन् 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
हिन्दी भाषा का इतिहास आजादी से सदियों साल पुराना है। संसार में चीनी के बाद हिन्दी सबसे विशाल जनसमूह की भाषा है। यद्यपि भारत में अनेक उन्नत और समृद्ध भाषाएं हैं किंतु हिन्दी सबसे अधिक व्यापक क्षेत्र में और सबसे अधिक लोगों द्वारा समझी और बोली जाने वाली भाषा है।
जैसा कि पहले ही कहा जा चुका हैं कि राष्ट्रभाषा किसी भी देश की पहचान और अभिमान होती है, लेकिन भारत जो करीब दो सौ सालों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा उसने अपनी इस अनमोल विरासत को कहीं खो सा दिया है। आलम यह है कि आज हिन्दी भाषा का प्रयोग कोई स्वाभिमान की बात नहीं, बल्कि शर्म की बात होती जा रही है। प्रगति और विकास की राह में लोग हिन्दी को तुच्छ मानते हैं। टेक्नॉलोजी और विज्ञान के इस दौर में इंग्लिश का प्रयोग करना लोगों को एक अलग ही रहस्यमय अभिमान देता है इसके विपरीत हिन्दी का प्रयोग करना तुष्टता सा प्रतीत होता है। इंग्लिश बोलना सिखाने वाले केंद्रों की हर शहर में भरमार होती है, परंतु हिन्दी के लिए केंद्र तो दूर पढ़ाने के लिए एक अध्यापक का मिलना भी मुश्किल हो जाता है।
आज हर भारतीय अपने बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए अच्छी से अच्छी शिक्षा की वकालत करता है और अच्छे स्कूल में डालता है। इन स्कूलों में विदेशी भाषाएं तो बखूबी सिखाई जाती हैं लेकिन हिन्दी की तरफ कोई खास ध्यान नहीं दिया जाता वजह और कारण दोनों ही बेहद हास्यपद हैं। कुछ लोगों का कहना होता है कि “हिन्दी का मार्केट ही नही है और आगे जाकर इसमें कोई खास मौके नहीं मिलते।”
आज देश में हर दूसरा समाचार चैनल हिन्दी में आता है, हजारों अखबार हिन्दी में छपते हैं, लेकिन फिर भी नौकरियों की कमी है। आंशिक रूप से यह प्राइवेट क्षेत्र के लिए सत्य है, लेकिन सरकारी नौकरियों में हिन्दी भाषी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता। हिन्दी का समर्थन करने का मतलब हालाँकि यह नहीं है कि आप अन्य भाषाएं सीखें ही ना, वरन हिन्दी भाषा का सम्मान करने का अर्थ है आपको हिन्दी आनी चाहिए और सार्वजनिक स्थलों पर हिन्दी में वार्तालाप करने में आपको शर्म या झिझक नहीं होनी चाहिए।
गांधी जी कहते थे की “मैं हिन्दी के जरिये प्रांतीय भाषाओं को दबाना नहीं चाहता किन्तु उनके साथ हिन्दी को भी मिला देना चाहता हूँ”। प्यारे साथियों, आज का युवा अपनी जमीन से तो दूर होता ही जा रहा है लेकिन अगर वह अपने वजूद और अपनी पहचान को भी खो देगा तब यह केवल उसके स्वयं के लिए ही नहीं राष्ट्र के लिए भी अच्छा नहीं होगा। एक हिन्दुस्तानी को कम से कम अपनी मातृभाषा यानि हिन्दी तो आनी ही चाहिए। साथ ही हमें हिन्दी का सम्मान भी करना सीखना होगा। इसी संकल्प के साथ आओ हम हिन्दी दिवस मनाए और देश की भाषा के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करें।
हिन्दी में काम करना राष्ट्र की सेवा है I राजभाषा हिन्दी आगे बढ़ेगी तो देश की एकता मजबूत होगी I
डॉ नरेंद्र प्रताप सिंह
(निदेशक)
संस्थान द्वारा इस वर्ष मनाए गए हिन्दी पखवाड़ा का संक्षिप्त विवरण
इस वर्ष संस्थान द्वारा दिनांक 14 सेप्टेम्बर 2015 से 26 सेप्टेम्बर 2015 तक हिन्दी पखवाड़ा का आयोजन किया जा गयाI हिन्दी पखवाड़ा कार्यक्रम का उद्घाटन माननीय निदेशक महोदय जी करकमलों से हुआ, इस अवसर पर उन्होने हिन्दी के गौरवपूर्ण इतिहास का वर्णन किया साथ ही संस्थान के सभी कर्मचारियों को हिन्दी में काम करने हेतु प्रेरित कियाI
संस्थान में मनाए गए हिन्दी पखवाड़ा के दौरान कर्मचारियों के लिए अनेक प्रकार की प्रतियोगिताएं जैसे की निबंध लेखन, टिप्पणी लेखन, पत्र लेखन, गायन, सस्वर कविता पाठन आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमे संस्थान के अधिकांश कर्मचारियों ने उत्साह के साथ भाग लियाI इस अवसर पर संस्थान के कर्मचारियों के बच्चों के लिए भी अनेक प्रतियोगिताओं का आयोजित की गयीI
आगामी मासिक स्टाफ मीटिंग में हिन्दी पखवाड़ा कार्यक्रम में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगाI
सचिव (राजभाषा)
गोवा के लिए भा.कृ.अनु.प.
का अनुसंधान परिसर