अवलोकन

 

भाकृअनुप – केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान

 

    भाकृअनुप – केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप), नई दिल्ली द्वारा स्थापित अनुसंधान संस्थानों में से एक है । भाकृअनुप कृषि अनुसंधान एवम् शिक्षा विभाग (डीएआरआई), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार का एक स्वायत्त् संस्थान है । भाकृअनुप – केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान की स्थापना अप्रैल 1976 में उत्तरपूर्व पर्वतीय क्षेत्र के लिए भाकृअनुप का अनुसंधान परिसर, शिलोंग, मेघालय के अन्तर्गत एक क्षेत्रीय केंद्र के रूप की गयी थी। तदन्तर यह सीपीसीआरआई, कसारगढ़ के अन्तर्गत क्षेत्रीय केंद्र बना । गोवा राज्य में कृषि की महत्त को दृष्टिगत रखते हुए, भाकृअनुप नई दिल्ली ने अप्रैल 1989 को इस क्षेत्रीय केंद्र को स्वतंत्र संस्थान का दर्जा दिया । तदान्तर 01 अप्रैल 2014 से इसे भाकृअनुप - केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान के रूप में उन्नत किया गया । यह संस्थान भाकृअनुप के प्राकृतिक संसाधन प्रबन्धन (एनआरएम) संभाग के अन्तर्गत आता है ।

    1983 में, गोवा के कृषक समुदाय को तकनीकी सेवा उपलब्ध कराने के उद्वेश्य से इस संस्थान में एक कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) स्थापित किया गया । भाकृअनुप – केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान  53 हेक्टेयर में विस्तारित एक ऐसा संस्थान है, जिसमें अनुसंधान कार्य हेतु प्रमुख मूलभूत और प्रायोगिक क्षेत्र की समस्त सुविधाएँ स्थापित की गईं हैं । यह संस्थान ओल्ड गोवा (अक्षांश 15030'52" उ; देशान्तर 73055'01" पू) में स्थित है, जो पुर्तगाली शासन के दौरान गोवा की एतिहासिक राजधानी हुआ करता था ।

    यह संस्थान गोवा के कृषि एवम् सम्बद्ध क्षेत्रों को अनुसंधान व विकास के लिए सहयोग प्रदान करता है । यह कृषि को उत्कृष्टता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । यह संस्थान मुख्यरूप से अनुसंधान गतिविधियों में संलग्न है, जिनका उद्वेश्य कृषितंत्र के तरीकों सहित विविध कार्यनीतियों के माध्यम से इस क्षेत्र की प्रमुख फसलों के उत्पादन तथा उत्पादकता में सुधार लाना है । अनुसंधान के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में दुग्ध और माँस उत्पादन बढ़ाने के लिए पशुधन तथा मत्स्यपालन क्षेत्र भी शामिल हैं ।

 

संस्थान का मिशन

 

संस्थान की शुरूआत इस मिशन के साथ की गई थी कि “समस्त प्रमुख फसलों और पशुसम्पदा की विविध प्रजातियों/नस्लों को सन्निविष्ट करना और उनमें सुधार लाना एवम् मत्स्य उत्पादन में सुधार के लिए विविध जलीय संसाधनों के वैज्ञानिक उपयोग करना।”

संस्थान के अधिदेश

 

  • तटीय क्षेत्र से संबन्धित प्राकृतिक संसाधन की सतत उत्पादकता हेतु कृषि व बागवानी फसलों, पशु सम्पदाओं और मत्स्यपालन पर अनुसंधान ।

  • तटीय कृषि के प्रयोग से जलवायु अतिस्‍कंदी भूमि उपयोग और खेती प्रणाली द्वारा सुधारीत और स्थायी आजीविका उपार्जन ।

  • कृषि-पर्यावरण पर्यटन के केंद्र के रूप में कार्य करना ।