हिन्दी सप्ताह कार्यक्रम
गोवा के लिए भा० कृ० अनु० प० का अनुसंधान परिसर
में हिन्दी सप्ताह मनाया जा रहा है। हिन्दी सप्ताह का प्रारम्भ गीत गायन
प्रतियोगिता के साथ हुआ। सुलेख
प्रतियोगिता में बड़ी उत्साह के साथ कई प्रतिभागियों ने भाग लिया
I
हिन्दी
निबंध
प्रतियोगिता में
“स्वास्थ्य
में आहार और ओव्यायाम का योगदान,
अपने बच्चों को यौन शोषण के खिलाफ सशक्त कैसे करें,
हमारे संस्थान की टाइम मशीन,
जलवायु परिवर्तन,
हिन्दी का बचाव कैसे?,
कृषि की उन्नति या किसान का अभिशाप,
मेरे मन में भारत की छवि”
आदि
रोमांचक शीर्षक दिए गए और प्रतिभागियों ने बड़े ही मनमोहक निबंध लिखे
I
संस्थान के तकनिकी अफसरों ने
“भारतीय
लोक परम्परा में वृक्ष
“
के शीर्षक पर बड़े ही रोमांचक और लोक गीतों से भरा व्याख्यान
दिया और सब का मन हर लिया । संस्थान
के वैज्ञानिकों ने भी
"
शाला से प्रयोग
कृषक
के
खेत"
तक
के
विषय पर दिल और दिमाग से व्याख्यान प्रदान करके दर्शकों का दिल जीत लिया ।
हिन्दी में सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया और अल्प हिन्दी
भाषी लोगों से
भरे इस संस्थान में बड़े ही उत्साह से कई प्रतिभागियों ने भाग लिया ।
बच्चों के लिए चार श्रेणियों में पाँच से कम साल ,
एक से लेकर चौथी कक्षा तक,
पाँचवीं से आठवीं कक्षा तक और नौवीं से बारहवीं कक्षा तक)
चित्रकला,
सुलेख,
निबंध,
प्रतिभा दर्शन और वाद विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित किये गए ।
इस कार्यक्रम में श्रीमति निर्मला सिंहजी विशेष निर्णायक के रूप में आमंत्रित
की गई
,
उन्होंने बढ़े रूचि से प्रतिभागी बच्चों का उत्साह बढ़ाया ।
बच्चों ने भी
बड़े उत्साह से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर हिन्दी सप्ताह समारोह का रौनक
बढ़ा दिया ।
१ अक्टूबर,
२०१२
को हिन्दी
सप्ताह
का
समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह
डॉ० नरेन्द्र प्रताप सिंहजी के अध्यक्षता में संपन्न हुई।
हिन्दी सप्ताह के कार्यक्रमों में १० वैज्ञानिक,
७ तकनिकी अफसरों,
7
प्रशासनिक अधिकारियों,
१३ अनुसन्धान अध्येयों और २२ बच्चों ने भाग लिया और
सब कर्मचारियों में कुल ३१ पुरस्कार एवं संस्थान के कर्मचारियों के बच्चों को
३० पुरस्कार प्रदान किये गए। सब
प्रतिभागियों
को प्रतिभागी पुरस्कार के रूप में उध्दरण छपा सुन्दर मग प्रदान किया गया ।
स्वागत भाषण में डॉ० श्रीमति मतला जूलियट गुप्ताजी ने हिन्दी सप्ताह के सफल आयोजन
में संस्थान के सभी कर्मचारियों को
उनके उत्साहपूर्ण सहयोग
केलिए धन्यवाद दिया और कहा कि सब प्रतियोगिताओं को एक साथ आयोजित करने से
संस्थान के कई अन्य जतिविधियों के कारण कई बाधाएँ आती हैं और
उन्हें सालभर
एक महीने के कालान्तर में आयोजित
करने का सुझाव रखा।
निदेशकजी
ने
अपनी भाषण
में सभी पुरस्कार्थियों को
बधाई देते हुए आशा
व्यक्त किया कि इस
हिन्दी सप्ताह के
खत्म होने के बाद भी संस्थान के कारवाई में राजभाषा का प्रचलन और
बढ़ेगा ।
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